गलती का एहसास प्रेरणादायक हिन्दी स्टोरी | Feeling Of Fault Hindi Story
गाड़ी में से फ्रेंच कट दाढ़ी रखे हुए एक गोरा, गुड ड्रेसिंग सेंस वाला हैन्डसम युवक उतरता है । अंदर जाकर बैंक के स्टाफ को वह अपना परिचय देता है । सभी उसे देखकर काफी प्रभावित होते हैं । कई लोग फूलों का गुलदस्ता, तो कई लोग खाली हाथ ही उसे वेलकम करते हैं । वह दिखने में जितना स्मार्ट है । उससे कहीं ज्यादा वह मिलनसार स्वभाव का भी है ।
“हां भाई इन नए-नए लड़कों में जोश ज्यादा और होश कम होता है । तुम देखना कुछ ही दिनों में इन्हें समझ में आ जाएगा कि सरकारी आफिसो में गाड़ी चलती नहीं बल्कि ढकेली जाती है ।”
“देखो मैनेजर तुमने बहुत ही ऊंची संस्था से एमबीए की डिग्री हासिल की है और तुम युवा भी हो ऐसे मे तुम्हारे अंदर का जवान खून दहाड़ मार रहा है । मगर हमने धूप में बाल सफेद नहीं किए । तुम्हारे जैसे कई लड़के मेरे सामने आए और गए । शुरू शुरू में सब बहुत एडवांस बनने की कोशिश करते हैं । मगर धीरे-धीरे सब रास्ते पर आ जाते हैं । तुम्हारा काम अच्छा है मगर तुम कुछ ज्यादा ही रूल्स बना रहे हो जिन्हें फॉलो कर पाना यहां के कर्मचारियों को लगभग नामुमकिन सा हो है । बेहतर होगा कि तुम अपने रूल्स में थोड़ा लचीलापन लाओ । वरना ऐसा न हो कि तुम्हे जल्दी ही यहां से रुखसत होना पड़े । ऐसा मैं नहीं कह रहा बल्कि यहां बैंक के सभी स्टाफ की, तुम्हारे प्रति जो नाराजगी है और जो राय बन रही है , उसको देख कर मैं कह रहा हूँ”
अचानक एक दिन बैंक मैनेजर खुद सवा ग्यारह बजे बैंक पहुंचते है यह देख कर उनका स्टाफ चुटकी लेता है और उनसे कहता है
“क्या साहब आज खाना बनाने की ड्यूटी भाभी जी ने आपको ही दे ढाली क्या जिसके कारण आपको आने में इतनी देर हो गई”
अभी उसने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि सारा स्टाफ जोर-जोर से ठहाके मारकर बैंक मैनेजर पर हंसने लगा । बैंक मैनेजर स्टाफ के दर्द से भलीभांति वाकिफ थे, वे जानते थे कि बैंक के उस स्टाफ के कहने का आशय क्या है मगर फिर भी बैंक मैनेजर ने अपनी सरलता को दिखाते हुए पहले तो थोड़ा मुस्कुराया और फिर कहा
“नहीं नहीं सिंह साहब सिर्फ खाना पकाना होता तो बात ही क्या थी वो तो मेरा रोज का काम है असल में आज उसने खाना पकाने के साथ-साथ ही बर्तन पोछे का काम भी मुझे दे दिया । इसीलिए थोड़ा आने में वक्त लग गया”
एक दिन अचानक सुबह-सुबह ही बैंक के आला अफसर बैंक में आ धमके संजोग से आज बैंक के लगभग सभी कर्मचारी मौजूद थे सिर्फ बैंक मैनेजर को छोड़कर । अफसरो ने यहां अपने सारे काम निपटाने के बाद बैंक मैनेजर की राह देखने लगे । बैंक मैनेजर तकरीबन साढे बारह बजे बैंक पहुंचे ।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है | Moral Of This Inspirational Hindi Story
किसी भी शख्स को भली-भांति जाने बगैर उसके बारे में कोई राय बना लेना अक्सर गलत साबित होता है !
ऐसे तमाम सवाल हम अगले से या तो सीधे तौर पर या आड़े तीरक्षे करने लगते हैं । । हम कभी उसकी मजबूरियों को समझने की कोशिश नहीं करते । अगला अगर खुद से अपनी परेशानियों को नहीं बताता तो हम उसे निकम्मा, बेवकूफ, नाकाबिल समझ बैठते हैं और इधर-उधर उसके बारे में बुराइयां करने लगते हैं । जबकि उसको हमारे Support की, हमारे Care की सबसे ज्यादा जरूरत होती है परंतु हम उसकी Problems को जाने बगैर, उल्टे उसके दुश्मन बन बैठते हैं और हमारा कार्य सिर्फ और सिर्फ उसकी आलोचना करने तक रह जाता है ।