बच्चों को बनाए आत्मनिर्भर! बच्चो के विकास मे माता पिता की भूमिका कहानी

Role Of Parents In Children’s Development Motivational Story In Hindi

  एक घने जंगल में शेर शेरनी का एक जोड़ा रहा करता था कालांतर में शेरनी ने दो शावकों को जन्म दिया । जिनमें से एक नर व दूसरी मादा थी । शेरनी के दोनों बच्चे धीरे-धीरे बड़े होने लगे यद्यपि शेरनी अपने दोनों बच्चों को बहुत मानती परंतु उसे इस बात का भी ज्ञान था कि उसके भविष्य का सहारा नर शावक ही है । जिसके कारण वह उसे थोड़ा ज्यादा मानती ।

  जहाँ एक तरफ वह अपने बेटे को एक पल के लिए भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देती । उसे धूप, बरसात और ठंड हर चीज से बचाने का पुख्ता इंतजाम किया करती । वहीं दूसरी तरफ उसे अपने मादा शावक की जरा भी फिक्र नहीं थी ।
  चुकि शेर अब बूढ़ा हो चुका था इसलिए अब वह शिकार पर कम जाता था जिसके कारण परिवार के भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी अब शेरनी पर थी लिहाजा अब शेरनी अकेले ही शिकार पर जाया करती हालांकि अकेले शिकार करना थोड़ा मुश्किल था । जिसके कारण  उसे अक्सर या तो निराशा हाथ लौटना पड़ता या फिर किसी छोटे-मोटे शिकार से  ही संतोष करना पड़ता ।

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  छोटा-मोटा शिकार हाथ लगने पर शेरनी, उसे सबसे पहले अपने बेटे को खाने के लिए देती और यदि वह भोजन बेटे के खाने से बचता तब ही मादा शावक उसमे भोग लगाती, अन्यथा उसे भूखे पेट ही रात गुजारना पड़ता जिसके कारण मादा शावक कई-कई दिनो तक भूखे रह जाती  । धीरे-धीरे मादा शावक पर यह कहावत चरितार्थ होने लगी कि 
 “मरता क्या न करता”
  कई दिनों तक भूखे पेट रह जाने पर मादा शावक पेट की भूख मिटाने स्वयं ही जंगल मे निकल पड़ती । धीरे-धीरे उसने छोटे-मोटे जीव जंतुओं का शिकार करना शुरू कर दिया ।  
  एक दिन उसके हाथ एक लंगड़ा हिरण लगा । उसे पाकर वह बहुत खुश हुई । मादा शावक द्वारा हिरण का शिकार किए जाने पर शेरनी की आँखे खुली की खुली रह गई । शेरनी ने उससे पूछा यह तुमने कैसे किया । हमारी लेटेस्ट (नई) कहानियों को, Email मे प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें. It’s Free !
“कुछ नहीं माँ, बस यूँ ही कुछ दिनों से छोटे-छोटे शिकार करने का प्रयत्न कर रही थी । उसी में आज यह हिरण हाथ लग गया”
  एक दिन जब संजोगवश नर व मादा शावक घर पर अकेले थे तभी न जाने कहां से वहां दो जंगली भालू का आना हुआ । भालू शेरनी के बेटे को देखकर अचानक भड़क गए और उस पर टूट पड़े । उन्हें अपनी ओर आता देख शरीर से काफी हिस्ट-पुस्ट, नर शावक भागने लगा । भाई की चीख सुनकर निद्रा में समा चुकी मादा शावक की नींद टूट गई । उसने बिना कुछ सोचे समझे भालूओ के  ऊपर हमला बोल दिया । वह नर शावक जैसी भारी-भरकम तो नही थी परंतु उसमे साहस बहुत था जिसके बलपर वह उनसे कई घंटों तक लगातार लड़ती रही ।
 थोड़ी ही देर में शेरनी भी वहां आ धमकी । सामने का नजारा देखकर उसकी रूह कांप उठी । उसने फटाफट भालुओ को वहां से खदेड़ा मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी । जहां मादा शावक बुरी तरह घायल थी । वहीं नर शावक  चित हो चुका था उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे ।

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आज के इस युग में लगभग सभी माता-पिता बहुत हद तक, इस कहानी की शेरनी का पात्र अदा कर रहे हैं । वे अपने बच्चों को Over Care दे रहे हैं अर्थात वह बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें जिंदगी से दो-दो हाथ करने का मौका ही नहीं दे रहे हैं । वे उनके हिस्से का भी काम खुद ही कर डालना चाहते हैं । वे नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चो को किसी प्रकार की कोई परेशानी हो !
  
  दोस्तों संघर्ष जिंदगी का एक हिस्सा है । उससे हम भाग नहीं सकते यह मुश्किलें ही हमें लड़ना सिखाती हैं और हमें परिपक्व बनाती हैं । इस कहानी मे मादा शावक ने अपने दो जून की रोटी का इंतजाम करने के लिए संघर्ष किया और  जिसके फलस्वरूप उसने ना सिर्फ अपना पेट भरना सीखा बल्कि अपनी सुरक्षा करना भी सीख लिया ।
  दोस्तो आप कब तक अपने बच्चों की ढाल और बैसाखी बने रहेंगे । उनको अपने पैरों पर खड़ा होने दें उनकी उतनी ही Care करे जितनी जरूरत हो । उनके Natural Growth को ना रोक कुछ काम उन्हें भी करने दे क्योंकि जब वह संघर्ष करेंगे, जब दुनिया से दो दो हाथ करेंगे । तभी वो परिपक्व हो पाएंगे । अन्यथा वक्त के थपेड़े उनको थोड़े ही देर में जमीन पर ला कर खड़ा कर देंगे ।

                             

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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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