रोहन और रेणुका की प्यार भरी प्रेरक कहानी| रिश्तो की सीख देती लघु कहानी
सात दिनों की लंबी बारिश ने सब कुछ भीगा कर रख दिया है । गर्मी तो मानो कहीं छूमंतर सी हो गई है परिणामस्वरूप हर तरफ बस हरियाली ही हरियाली बिखरी है । प्रकृति की सुंदरता ऐसी जिसे देख हर किसी का मन बस खुशियों से भर जाए । रोहन भी प्रकृति के इस मनमोहक स्वरूप को देखकर बहुत दिनो बाद आज इतना खुश दिखाई दे रहा है ।
रोहन अब पहले से काफी बदल चुका है, वह रोज सुबह सबेरे उठकर पौधों के लिए बनी क्यारियों में पहले पानी डालता है और फिर प्यारे पप्पी को नहला धुलाकर उसे अपने साथ नाश्ता कराता है । ऑफिस में भी वह अपने दोस्तों के साथ बहुत खुश है । वह उनके साथ खूब मौज मस्ती करता है । कुल मिलाकर यदि कहें तो उसने अनन्या के बगैर जीना सीख लिया है ।
चार साल पहले अनन्या ने रोहन का दामन छोड़, किसी और से रिश्ता जोड़ लिया था । तब से आज तक रोहन बस उसी की यादो में जी रहा था । यह सच है कि चार साल गुजर जाने के बाद भी रोहन अनन्या को भुला तो नही सका है, हां पर इतना जरूर है कि रोहन ने अनन्या के बगैर भी जीना सीख लिया है ।
हालांकि मां ने बेटे को मूव ऑन कराने का बेहद प्रयास किया । बेटे की जिन्दगी में खुशिया वापस लाने के लिए उसने रोहन की शादी भी करानी चाही परंतु रोहन शायद पूरी जिंदगी बस अकेला ही रहना चाहता था या शायद उसका प्यार शब्द से विश्वास ही उठ चुका था । वह हर किसी को बस शक की निगाहों से देखता है । उसे हर किसी की आंखों में बस धोखा ही धोखा नजर आता है ।
एक दिन आफिस से घर लौटने पर, बेड पर बिखरी लड़कियों की ढेर सारी फोटोग्राफ्स को देखकर रोहन मां को आवाज लगाता है । वह मां से पूछता है
“मां, ये कैसी फोटोग्राफ्स मेरे बेड पर बिखेरे रखी हो”
तब मां बेटे से कहती है
“आखिर ऐसा कब तक चलेगा । तुम्हें सब कुछ भूल कर आगे बढ़ना ही होगा और वैसे भी जो हमारे साथ एक बार हुआ, वैसा बार-बार हो ऐसा जरूरी तो नहीं है । बस मैं इतना ही चाहती हूं कि तुम दुनिया को दिखाने के लिए ही सही पर किसी के साथ विवाह के बंधन में बध जाओ फिर चाहे तुम उसे अपनी पत्नी मानो या ना मानो”
रोहन गुस्से में “इसपर पहले ही काफी बात हो चुकी है और आगे इस टॉपिक पर बात करने से मैने मना किया था फिर भी बार-बार तुम यही टॉपिक छेड़ देती हो”
दोनो में काफी देर तक बहस चलती रहती है परंतु आखिरकार मां की बातों का मान रखते हुए रोहन, रेणुका से शादी कर लेता है । उनकी शादी को पहले हफ्ते फिर महीने और फिर महीने से साल गुजर जाते हैं परंतु एक ही छत के नीचे रहकर भी उनके बीच रिश्ते कुछ अजनबीयों के जैसे ही हैं ।
रोहन के रवैये के बारे सोच-सोचकर रेणुका अक्सर काफी दुखी रहा करती थी या शायद टूट सी जाती परंतु ऐसी विषम परिस्थितियों में रोहन की मां उसे काफी मजबूती देती है । वह उसे रोहन के और करीब जाने और उसका साथ हासिल करने के लिए उसे बार-बार प्रेरित करती है ।
हालांकि रेणुका भी रोहन को पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थी । वह रोज सुबह उठकर सबसे पहले उसका नाश्ता तैयार करती है और फिर ऑफिस जाने के लिए तैयार होने में उसकी मदद करती है । शाम को घर लौटने पर वह उसके लिए उसका मनपसंद डिनर बनाती है ।
इतना ही नहीं वीकेंड पर वह उसके साथ जबरदस्ती घूमने भी जाती है । वैसे तो साथ घूमने जाने के लिए रोहन ने रेणुका को कभी मना नहीं किया परंतु बाहर भी रोहन, रेणुका के साथ कुछ वैसे ही पेश आता है मानो ड्यूटी बजा रहा हो ।
एक दिन जब रोहन क्यारियों में पानी डाल रहा था तब रेणुका वहां चाय लेकर आती है परंतु गलती से उसका पैर फिसल जाता है और वह पानी से भरी क्यारियों में लोटपोट हो जाती है परिणामस्वरूप उसका सारा बदन कीचड़ से रंग जाता है जिसे देख रोहन बहुत जोर जोर से हंसने लगता है ।
रोहन को इस तरह हंसता देख रेणुका खिलखिला उठती है । दोनों काफी देर तक ऐसे ही हंसते रहते हैं । इस मनोरम दृश्य को देख मानो ईश्वर भी भावविभोर हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप जोर-जोर से बारिश शुरू हो जाती है । बारिश के कारण रेणुका की साड़ी पर लगा सारा कीचड़ धूल जाता है ।
बिन मौसम की इस बरसात में रेणुका का गुलाबी चेहरा चमकने लगता है । बारिश में खुशी से झूम रहे फूलो के बगीचे में रेणुका की खूबसूरती बस देखते ही बन रही है । रोहन भी उसको देखने से खुद को रोक नहीं पाता ।
तभी उसकी नजर रेणुका के दाहिने हाथ पर पड़ती है जिसपर फिसलते वक्त चाय का प्याला गिर जाने से वह बेहद जल चुका है । रोहन फटाफट उसे वहां से अंदर ले आता है और उसके हाथ पर टूथपेस्ट लगाता है । मगर शायद अब काफी देर हो चुकी है, रेणुका के हाथों पर फफोले पड़ जाते हैं ऐसे हालात में रोहन आफिस से छुट्टी लेकर रेणुका का काफी ख्याल रखता है । वह पूरे हफ्ते नाश्ता व खाना खुद तैयार करता है ।
प्यार की ये पहली बरसात दोनों के लिए यादगार बन जाती है और आखिरकार रोहन, रेणुका को अपना जीवनसाथी हृदय से स्वीकार कर लेता है । वह उसके साथ आज बहुत खुश है ।
कल तक जिन रिश्तो में रोहन को सिर्फ बुराइयां ही बुराइयां नजर आ रही थी, कल तक वह जिन रिश्तो में कभी गलती से भी फसना नहीं चाहता था । आज वही रिश्ते उसके लिए बेहद खास हैं, वो रिश्ते ही आज रोहन की जिंदगी बन चुके हैं, उसकी खुशियों का वजह बन चुके हैं । वह उनके साथ जीना चाहता है या यूं कहें कि उन रिश्तो को बनाए रखना ही रोहन की जिंदगी का मकसद बन चुका है ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Motivational Story In Hindi
कभी-कभी कुछ रिश्तो से हमें घृणा सी हो जाती है । हम ऐसे रिश्तो में कभी बधना नहीं चाहते परंतु वक्त के साथ हमें इन्हीं रिश्तो के नए मायने समझ आते हैं और वह हमारी ढेर सारी खुशियों की वजह बन जाते !
दोस्तों किसी रिश्ते के टूट जाने से उस रिश्ते को ही बुरा मान बैठना सही नहीं है इसकी वजह परिस्थितियां या स्वंय उस रिश्ते से जुड़ा व्यक्ति भी हो सकता है इसलिए हमें दुबारा से ऐसे रिश्तो को मौका देना चाहिए, क्या पता वही रिश्ते हमारी जिंदगी के लिए नई खुशियों की वजह बन जाएं ।
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