फलवाले की प्रेरणादायक कहानी | Importance of Decision Making in Hindi

गांव के एक छोटे से चौराहे पर शंभू अपनी फलो की दुकान लगाया करता था । इन फलो को बड़ी मंडी से खरीदने के लिए वह रोज तड़के चार बजे ही उठकर पहले बैलों को तैयार करता और फिर उनको लिए बड़ी मंडी चला जाता ।
वक्त के साथ शंभू का बेटा मुरली भी अब बड़ा हो चुका है लिहाजा वह भी अब शंभू के साथ बड़े बाजार जाने लगा है । मुरली इस काम में नया जरूर है परंतु वह काफी तेज दिमाग का है । लिहाजा उसने, कुछ ही दिनों की आवाजाही में काफी कुछ सीख लिया है । वह अपने पिता को पीछे छोड़, सारे सौदे अब खुद ही करता है । पिता को भी मुरली का काम बहुत भा रहा । 
एक दिन अचानक पिता की तबियत काफी बिगड़ जाती है जिसके कारण मुरली को बड़े बाजार अकेले ही जाना पड़ता है । मुरली इस मुश्किल की घड़ी में भी अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए व्यापार को बहुत अच्छे ढंग से संभाल लेता है जिसे देख उसके पिता खुशी से गदगद हुए जा रहे हैं ।
एक दिन संयोगवश मुरली की नींद नहीं टूटती और उसे उठने में काफी देर हो जाती है जिसके कारण वह काफी घबरा जाता है । वह जल्दी जल्दी तैयार होकर बड़े बाजार की और निकल पड़ता है परंतु पूरे रास्ते वह इसी चिंता मे डूबा हुआ है कि 

वहां पहुँचते-पहुँचते कहीं सारा सौदा खत्म ना हो जाए और तब उसे फलो के बिना ही खाली हाथ घर लौटना पड़े यदि ऐसा हुआ तो वह आज क्या बेचेगा और पिता को वह क्या जबाब देगा

परंतु मुरली के आशंकाओ के विपरीत बाजार में बहुत से फल विक्रेता अभी भी अपने फलों के साथ वहां मौजूद हैं यह देख मुरली चैन की सांस लेता है । देर से पहुचे मुरली ने फल विक्रेताओ काफी हड़बड़ी में पाया वे जल्द से जल्द सौदा खत्म करके घर भागने की फिराक मे हैं जिसके कारण वे अपने फलों को औने पौने दामो मे ही देने को तैयार हैं ।
मुरली फलो को खरीद घर वापस तो लौट आता है परंतु आज उसने व्यापार का एक नया सबक सीख लिया है । अगले दिन मुरली जानबूझकर काफी देर से मंडी जाता है फलस्वरूप वह काफी सस्ते दरो में फलो को खरीदने मे सफल हो जाता है । कम दामो में खरीदे गए फलो को सामान्य कीमत पर बेचकर उसे खुब मुनाफा होता है । यह देख शंभू बहुत खुश होता है क्योंकि इतने साल काम करने के बाद भी शंभू जो नहीं सीख पाया वो उसके बेटे ने चार दिन में सीख लिया ।
एक दिन जब मुरली बड़े बाजार फलों का मोल भाव कर रहा होता है तभी फलों का एक बड़ा व्यापारी, मुरली के पास आता है व्यापारी काफी घबराया हुआ है उसके माथे से टप-टप पसीना टपक रहा है वह भरी-भरी आवाज में मुरली से कहता है

दोस्त, मेरे बेटे की तबीयत अचानक बहुत बिगड़ गई है उसके इलाज के लिए मुझे जाना होगा परंतु परेशानी की बात ये है कि मेरे पास अभी भी ढेर सारे फल बचे हुए हैं यदि तुम उन सारे फलों को खरीदते हो तो मैं तुम्हें वे सारे फल अपने खरीद भाव से ही दे दूंगा

मुरली को व्यापारी का सौदा बहुत पसंद आता है वह सौदे के लिए राजी हो जाता है जिसके फलस्वरूप व्यापारी अपने सारे फल उसे बेच कर वहां से चला जाता है ।
मुरली, आज बहुत खुश है क्योंकि उसने बहुत कम लागत में ढेर सारे फल खरीद लिए हैं । वह अपनी बैलगाड़ी उन फलों को लादना शुरू करता है परंतु चूँकि फल काफी ज्यादा है इसीलिए उन्हे बैलगाड़ी मे समेट पाना मुश्किल हो रहा है ।
थोड़ी ही देर में मुरली समझ जाता है कि इतने ढेर सारे फलों को बैलगाड़ी पर रख पाना मुश्किल है ऐसे में मदद के लिए वह इधर-उधर देखने लगता है परंतु तबतक मंडी बिल्कुल खाली हो चुकी है यहां दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है ऐसे में मुरली की मदद भला कौन करेगा ?
मजबूरन मुरली फिर एकबार फलों को बैलगाड़ी में समेटने की कोशिश करने लगता है और आखिरकार वह इसबार कामयाब हो जाता है । वह खुशी-खुशी बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता है परंतु वजन अधिक हो जाने के कारण बैलगाड़ी मे बधे बैल उसे खीच पाने मे खुद को असमर्थ पा रहे हैं । मजबूरन मुरली को उनके साथ कठोर होना पड़ता है ।
धीरे धीरे शाम ढलने लगती है वहीं मुरली ने अभी आधा रास्ता भी नहीं तय किया है ऐसे में उसकी घबराहट बढ़ने लगती है । रफ्तार बढ़ाने के लिए वह एक ओर जहां बैलों पर चाबुक चला रहा है, वहीं दूसरी ओर ढल रहे सूरज को देख रहा है । तभी अचानक एक जोर की आवाज से आसमान गूंज उठता है और मुरली भी लुढ़ककर नीचे गिर पड़ता है ।
 असल में अत्यधिक फलो का बोझ बैलगाड़ी के पहिए सहन नही कर पाते हैं और आखिरकार ठोकर मात्र से बैलगाड़ी का एक पहिया टूट कर छटक जाता है ।
इस दृश्य को देखकर मुरली माथे पर हाथ रख लेता है आधे से भी कम कीमत पर खरीदे गए फलो को दोगुना कीमत पर बेचने का उसका सपना धरा का धरा रह जाता है, अब तो शायद मूलधन भी निकाल पाना मुश्किल है । मुरली समझ जाता है कि उसने जो सौदा किया वह मूर्खतापूर्ण था । उसने बिना सोचे समझे अपनी क्षमताओ से बड़ा सौदा कर लिया ।

कहानी से शिक्षा | Moral Of This  Short Motivational Story In Hindi

दोस्तों सौदे में समझदारी बहुत आवश्यक है यदि आपको अपने व्यापार में पर्याप्त अनुभव नहीं है तो आप पहले उन अनुभवों जुटाए या किसी अनुभवी की मदद लें वरना बिना अनुभव व सूझबूझ के लिया गया फैसला बड़े फायदे की जगह बड़ा नुकसान भी करा सकता है ।

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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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