दो भाई विनीत और पुनीत बचपन से ही चोरी में माहिर थे। चोरी करने में वो इतने निपुण थे, कि उनके चोरी के किस्से दूर दूर तक फेमस थे। एक बार वो दोनों भाइयों ने सोचा कि ये रोज-रोज की छोटी-छोटी चोरियों में मेहनत और जोखिम बहुत है। इन छोटी-छोटी चोरियों से पैसे भी बहुत कम मिलते हैं। जिनकी वजह से लगभग हर दूसरे दिन उन्हें चोरी करनी पड़ती है।
दोनों भाइयों ने इस समस्या का स्थाई हल निकालने की सोची काफी सोच विचार के बाद दोनों ने यह निश्चय किया कि दोनों मिलकर क्यों न कोई बैंक ही लूट ले। और एक ही बार में उन्हें इस रोज रोज की मुसीबत से छुटकारा मिल जाए। फिर तो पैसा ही पैसा खुशियां ही खुशियां जीवन भर की ऐश।
फिर क्या था, दोनों ने पड़ोस के गांव में स्थित एक बैंक को लूटने की पूरी योजना बनाई ।दोनों भाई दिन.ढलने के बाद बैंक में घूस गये। अभी वो पैसा निकाल कर भागने वाले ही थे, कि तभी किसी ने उनकी इस योजना की खबर पुलिस को दे दी।
दोनो बैंक चोरी छोड़ अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग निकले। भागते-भागते अचानक पुलिस उनके सामने आ गई, जल्दबाजी में दोनों बगल में ऊंची दीवार पर चढ़कर दूसरी तरफ कूदे।
मगर दीवार से कूदते वक्त बड़ा भाई विनीत अचानक घुटने के बल नीचे गिरा उसके पैर में बहुत चोट आई। और काफी खून बहने लगा। उसने अपने छोटे भाई को कुछ नहीं बताया वही छोटा भाई भी जब दीवार से नीचे कूद रहा था। तो पुलिस की एक गोली उसके घुटने से काफी नीचे पैर को छूकर निकल गई। जिससे उसका भी थोड़ा खून निकलने लगा।
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पुलिस से छुपने के लिए दोनों एक कुएं में जिसमें कंधे भर पानी था। कूद गए और बिना कोई आवाज किए चुपचाप खड़े रहे। हालांकि पुलिस आसपास उन्हें रात भर ढूंढती रही।
बड़े भाई के पैर से खून काफी बह रहा था जिसके कारण कुएं के पानी का रंग धीरे-धीरे बदल कर लाल होने लगा। पर उसने अपना विश्वास बनाए रखा, वहीं पानी को लाल होता देख छोटे भाई को शंका होने लगी कि वो चोट लगने के कारण उसके शरीर का सारा खून बाहर निकल रहा है।
वह काफी हताश होने लगा उसे लगने लगा कि वो अब नहीं बचेगा जैसे-जैसे कुएं का पानी लाल होता गया उसकी जीवन के प्रति उम्मीदें धीरे धीरे क्षीण होती गई। वो काफी कमजोरी महसूस करने लगा। उसका शरीर सुस्त पड़ने लगा।
सुबह होते-होते निराश पुलिस वापस लौट गई।
परंतु तब तक छोटा भाई पुनीत मर चुका था।
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कहानी से शिक्षा
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