एकता की शक्ति प्रेरक कहानी | Power Of Unity Inspirational Hindi Story

"एकता की शक्ति" प्रेरणादायक हिंदी स्टोरी | inspirational hindi story on unity with moral

एकता की ताकत प्रेरणादायक कहानी | Inspirational Story In Hindi On Unity

  “रामू, सुरेश, महेश, दीपू कहां हो सब के सब जल्दी आओ, आओ जल्दी, कहां हो सब के सब”

पिता ने आवाज लगाई । पिता की घबराई आवाज को सुनकर चारों भाई भागे-भागे बाहर आए । बाहर आकर उन्होंने पिताजी से उनके इस तरह घबराकर उन्हें बुलाने की वजह जाननी चाही मगर तभी उनके पैर मैं मानो कोई बिच्छू  मार गया हो उनकी आंखों में आश्चर्य की तस्वीर साफ दिखाई पड़ रही थी । अगर उनकी आंखों में सामने जल रहे खेतों मे उठती लपटों की झलक बिल्कुल साफ दिखाई पड़ रही थी । ऐसे मे अब पूछने को क्या बचा था ।

  जिसे आसपास जो दिखाई पड़ा उसे वह उसने हाथो मे उठाये घर के ठीक सामने बने हुए कुए की ओर दौड़ पड़ा । चारों भाई उनकी पत्नियां और बच्चे, सब के सब खेत की आग बुझाने के लिए एड़ी से चोटी का दम लगा दिए । हालांकि तब तक आग भयावह रुप ले चुकी थी । मगर इस खेत के सिवाय उनके पास गवाने को और कुछ भी नहीं था ।  ऐसे में करो और मरो के दृढ़ निश्चय के साथ सब के सब बस खेत की आग बुझाने में जुट गए ।
  मौके की नजाकत को समझते हुए जान की परवाह किए बगैर छोटा भाई स्वयं कुए में कूद गया । बस फिर क्या था दूसरा भाई ज्यों ही कुए में ऊपर से पानी की बाल्टी गिराता तो कुएं में खड़ा भाई फटाफट बाल्टी को पानी में डुबोकर उसे उपर बढ़ा देता बाकी भाई और घर की औरतें उसे लेकर खेत की तरफ दौड़ते ।

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  इस अंधी दौड़ में जब कोई फिसल कर गिर जाता तो दूसरे भाई उसे लपककर उठाते । इस जिंदगी और मौत के संघर्ष में एक का, बार बार चोट खाकर गिरना और दूसरे का आगे बढ़कर उसे सहारा देना लगातार जारी रहा । काफी मशक्कत के बाद उन्हें खेत की आग बुझाने में सफलता हासिल हुई ।  मगर जले चुके खेतों मे चूंकि फसल कुछ ज्यादा नहीं बची थी ऐसे में अब उन्हें अगली फसल तैयार होने तक पेट की आग बुझाने की चिंता होने लगी ।

  आधा से ज्यादा जलकर राख हो चुकी फसल को  देखकर सबके माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई थी । इस संघर्ष में किसी के पैर की चमड़ी छिल गई थी तो किसी की कोहनी गिर-गिर के फूट गई थी । तमाम तकलीफे सहने के बाद आग बुझाने में मिली सफलता के बावजूद उन्हें कुछ खास खुशी नहीं हुई ।

  उनके चेहरे पूरी तरह मुरझा गए थे आखिर इस थोड़ी सी बची फसल में अब वे खुद क्या खाएंगे और अपने बच्चों को क्या खिलाएं ।  कोई एक दूसरे से कुछ भी नहीं कह रहा था । सभी के मुख पर सिर्फ और सिर्फ खामोशी थी । बेटों की यह हालत देख कर पिता ने खुद को हिम्मत देते हुए बच्चों के पास आए और बोले 
 

  “इतना परेशान क्यों होते हो जल चुके खेतों मैं आज ही काम करना शुरू कर दो ताकि अगली फसल जल्द से जल्द तैयार हो जाए और जहां तक भूखों मरने का सवाल है तो तुम चारों की मेहनत से अभी भी बहुत सारी फसल खेतों में बच गई है । उससे जो अनाज तुम्हें प्राप्त होगा उसे मिल बांटकर थोड़ा-थोड़ा ही इस्तेमाल करना मुझे यकीन है इनके  खत्म होते होते अगली फसल तैयार हो जाएगी और तुम लोग जिन भविष्य की परेशानियों को सोच-सोच कर दुखी हो रहे हो वे परेशानियां शायद तुम्हे छु भी ना सक”

  पिता की इन बातों को सुनकर सभी मैं आत्मविश्वास की लहर दौड़ पड़ी । उनके बेजान पड़े कदमों में फिर से जान आ गई । सारी थकान को भूलकर जले हुए खेतों को ठीक करने चारों भाई तन मन से जुट गए । पूरे परिवार के अर्थक प्रयासों से अगली फसल काफी जल्द तैयार हो गई हालांकि तब तक घर में रखा अनाज लगभग-लगभग खत्म होने को था । मगर नई फसल के कट के आने से भूखे मरने की आशंका झूठी साबित हुई ।

  पिताजी की बातों से मिले आत्मविश्वास और एक दूसरे के साथ मिलजुल कर की गई मेहनत ने आज उन्हें भूखों मरने से बचा लिया था । एक बार सब के सब फिर बहुत खुश थे । घर में आज बहुत दिनों बाद कुछ अच्छा बना था । आज का दिन उनके लिए किसी होली दीवाली से कम न था ।

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  धीरे-धीरे वक्त गुजरने के साथ ही वृद्ध पिता जीवन को अलविदा कह गए परंतु जाते-जाते पिताजी ने उन्हें मिलजुल कर एक साथ रहने की नसीहत दी । पिता के जाने के बाद भी चारों भाई एक दूसरे के साथ हमेशा मिलजुल कर रहा करते । मगर समय के साथ-साथ जब उनके बच्चे बड़े होने लगे । तब शायद उनकी जरूरते भी बड़ी होने लगी । जिसके कारण बात-बात पर उनके बीच तकरार की स्थिति पैदा होने लगी ।

  देखते ही देखते चारों भाई अलग हो गये । कल तक जिन के बीच सागर से भी कहीं ज्यादा गहरा प्रेम हुआ करता था आज उनमें उससे भी कहीं ज्यादा एक दूसरे के प्रति नफरत की भावना पैदा हो गई थी । अब वे एक दूसरे का मुंह भी देखना नही चाहते थे । शायद इसीलिए बंटवारे के बाद चारों भाईयों के घरों के दरवाजे अलग-अलग दिशा में हो गए । अब उनके बीच अगर कुछ संयुक्त था तो वह था घर का पुराना कुआं जो उनके बरसों पुराने प्यार की याद दिलाता था ।

   मगर उसे ले कर के भी आए दिन उनमें झगड़े की स्थिति बनी रहती । आखिरकार वही हुआ जिसका डर था । संघर्ष की इस स्थिति से निपटने के लिए चारों ने इस कुएं को पाट देना ही ठीक समझा । धीरे धीरे काफी अरसा गुजर गया । इस दौरान उनकी आपस में बातचीत तो दूर की बात थी, उन्हे एक दूसरे के सुख-दुख से भी कोई वास्ता नहीं था । 

  गर्मियों का मौसम था । सभी रात को अपने-अपने दरवाजे के बाहर खाट बिछाए सो रहे थे । रात को उमस काफी ज्यादा थी । ऐसे में किसी को नींद भी नहीं आ रही थी । मध्य रात्रि को अचानक घर के बिल्कुल मध्य मे उन्हें चिंगारी सी प्रतीत हुई । सबने अपने-अपने घरों में जाकर अनुमान लगाया तो सबको लगा कि यह चिंगारी तो उनके किसी भाई के मकान से उठी है । ऐसे में उन्हें परवाह करने की कोई जरूरत नहीं है । ऐसा सोचकर सब अपने-अपने खाट पर दोबारा लेट गए ।

  थोड़ी ही देर में वह चिंगारी आग का रुप ले ली और सबसे पहले उसने बड़े भाई के घर को अपना निशाना बनाया । अब तक जो भाई उठी चिंगारी को दूसरे भाई के घर की समस्या समझकर ठाठ से बिस्तर पर चैन की नींद सो रहा था । उसी चिंगारी को आग की शक्ल लिए अपने घर की तरफ बढ़ता देख वह घबरा गया ।

  वह घर के बाहर बरामदे में रखी बाल्टी को लेकर तेजी से पड़ोस के कुएं की ओर भागा । चूंकि वह कुआं घर से थोड़ी दूरी पर था इसीलिए जब तक वहां से वह पानी लेकर अपने घर की तरफ लौटता तब तक आग और भयानक रुप ले चुकी होती । उसका अकेले इतनी दूर से दौड़-दौड़कर पानी लाना और उससे आग बुझाने का प्रयास करना बिल्कुल भी बेमतलब साबित हो रहा था ।

  उस पानी से आग बुझने की बजाय और तेजी से आगे बढ़ रही थी । देखते ही देखते आग ने बड़े भाई के पूरे घर को अपने आगोश मे ले लिया । वही बाकी भाई यह सारा नजारा अपने-अपने घरों से छुप-छुपकर देख रहे थे । मगर उन्हें अपने सगे भाई का जलता हुआ घर देख कर भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि वह तो किसी जन्म में उनका सगा हुआ करता था आज तो वह उनके लिए एक सौतेले से भी  बदतर था ।

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  मगर थोड़ी ही देर में हालात कुछ बदल गए । बड़े भाई के घर से उठी एक चिंगारी दूसरे भाई के घर पर आ गिरी और थोड़ी ही देर में उसने भी भयानक आग की शक्ल अख्तियार कर ली । ऐसे में दूसरा भाई बड़े भाई की तरह ही बाल्टी उठाए अकेले ही आग बुझाने का प्रयास करने लगा । अब दोनों बड़े भाई अपने-अपने घरों की आग बुझाने का प्रयास करने मे लगे थे । वही बाकी दो भाई चुपचाप अपने-अपने घरों से छुप-छुपकर यह तमाशबीन बने हुए थे ।

  मगर उन्हें यह तमाशा देखना ज्यादा देर तक नसीब नहीं हुआ । दोनों बड़े भाइयों के घर से उठती चिंगारियों ने एक-एक कर के बाकी दोनो भाइयों के घरों को भी आग के गर्त में ढकेलने का काम किया । यह छड़ पुराने समय की याद दिला रहा था । जब सारे भाई और उनके बीवी बच्चे एक साथ मिलकर खेत की आग बुझा रहे थे और  साथ ही एक दूसरे का दुख-सुख भी बांट रहे थे । वही आज की स्थिति उसके बिल्कुल विपरीत थी ।

  सभी भाई और उनके बीवी बच्चे बाल्टी लिए सिर्फ अपने-अपने घरों की आग बुझाने में लगे थे । जिसका परिणाम यह था कि किसी के घर की आग नहीं बुझ पा रही थी । धीरे-धीरे एक-एक करके चारों के घर इस भयानक आग के मुख मे समा गए ।

  तभी  कुए से पानी लेकर आ रहे बड़े भाई के पांव अचानक ठिठक गए । वह अपने दरवाजे के सामने खड़े-खड़े कुछ सोचने लगा । उसने देखा कि उसका घर तो लगभग पूरा का पूरा ही जल चुका है । वही दूसरे और तीसरे भाई का घर भी बहुत हद तक जल चुका है । अब बचा है तो सिर्फ सबसे छोटे भाई का घर उसने उन दिनों को याद किया । जब उन्होंने मिलकर इससे भी भयानक आग का सामना किया था और आग को बुझाने मे सफलता हासिल की थी ।

  मगर आज अलग-अलग होकर वे एक छोटी सी चिंगारी को भी नहीं बुझा पा रहे थेऔर देखते ही देखते एक छोटी सी चिंगारी ने उनसे उनकी छत छीन ली । बड़े भाई को अपनी गलतियों का एहसास हो गया था । वह पछतावे की आग में जल रहा था । ऐसे में उसने सिर्फ अपना-अपना न देखकर अपने साथ अपनों को भी देखना उचित समझा और अपने हाथ में भरी बाल्टी को लिए छोटे भाई की घर की आग बुझाने दौड़ पड़ा । 

  बड़े भाई को ऐसा करता देख बाकी दो भाई भी अपना घर छोड़, पानी से भरी बाल्टी को लिए छोटे भाई के घर की आग बुझाने दौड़ पड़े । एक बार फिर से सब का मिलाजुला प्रयास रंग लाया और जो आग छोटे भाई के घर की तरफ बहुत तेजी से मुह फाड़े बढ़ रही थी । उसने अचानक अपने पांव पीछे खीच लिए इस प्रकार चारों भाइयों एवं उनके बीवी बच्चों ने मिलकर कम से कम एक घर को जलने से जरूर बचा लिया ।

  अब पहले की तुलना मे उनके सर पर छत तो काफी छोटी थी मगर उनमें अब बीच प्यार बड़ा था ।जिस आग ने उनसे कभी उनकी मेहनत की फसल छीन ली थी । आज उसी आग ने बिछड़े दिलों को मिलाने का काम किया था ।

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है | Moral Of This Inspirational Hindi Story

  

    एक साथ मिलकर समूह के रूप में किया गया कोई प्रयास अलग-अलग सौ प्रयासों से कहीं ज्यादा बेहतर साबित  होता है !

दोस्तों यदि मुसीबत न आये तो हम अकेले भी अपनी पूरी जिंदगी खुशहाल तरीके से बिता सकते हैं । हमें किसी के साथ की कोई आवश्यकता नहीं है । मगर मुसीबतें जिंदगी में कभी न आए ऐसा हो ही नहीं सकता । मुसीबतों का आना-जाना तो धूप छांव के आने-जाने की तरह ही है । समय-समय पर मुसीबतें तो आती-जाती ही रहेंगी । ऐसे में अगर हमारे अपने हमारे साथ हैं तो निश्चित रुप से हम बड़ी से बड़ी बाधाओं को आसानी से पार कर सकेंगे  ।

  आपने इस Hindi Story में देखा कि किस प्रकार चारों भाईयों के संयुक्त प्रयासों से खेत में लगी भयानक आग उनका कुछ न बिगाड़ सकी वहीं उनके द्वारा अलग-अलग घरों को बचाने के लिए किया गया प्रयास निरर्थक साबित हो रहा था । इसी तरह जब हम अलग-अलग हिस्सों में बटकर किसी Problem से निपटने का प्रयास करते हैं । तो वह Problem अपने विशालतम रूप में हमें दिखाई पड़ती है और हमारा प्रयास कुछ ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ के समान हो जाता है ।

  जबकि इसके ठीक विपरीत जब हम संयुक्त के रूप  उस Problem से निपटने का प्रयास करते हैं तो वह विशालतम समस्या भी हमारे सामने ज्यादा देर टिक नहीं पाती है । यही संयुक्त परिवार या एकता फायदे है ।

  आज की आधुनिक समाज में कई वजहों से लोग अलग-अलग रहने के लिए बाध्य हैं । यार दोस्त हो या परिवार सभी कुछ निजी  advantage के लिए एक दूसरे का साथ छोड़, अलग-अलग अपनी-अपनी कश्ती आगे बढ़ाने में लग जाते हैं । मगर जब मझधार में नइया फंस जाती है तब वही अपने हमें बचाने आते हैं । इससे तो अच्छा होगा कि हम अपनी नइया को थोड़ा धीरे ही आगे बढ़ाएं मगर सबको साथ लेकर चले ।
   Writer
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author

Karan Mishra

करन मिश्रा को प्रारंभ से ही गीत संगीत में काफी रुचि रही है । आपको शायरी एवं कविताएं कहने का भी बहुत शौक है । आपको, अपने निजी जीवन एवं कार्य क्षेत्र में मिले अनुभवों के आधार पर प्रेरणादायक विचार एवं कहानियां लिखना काफी पसंद है । करन अपनी कविताओं एवं विचारों के माध्यम से पाठको, विशेषकर युवाओं को प्रेरित करने की कोशिश करते रहे हैं ।

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