बस सोते ही रहना । पूरे हफ्तें तो घूमने से फुर्सत नहीं मिलती, बचा एक संडे तो उस दिन भी ये नहीं सोचते कि तुम्हारी कोई बीवी भी है जो सारा सारा दिन घर पर पड़ी रहती है आखिर वह भी तो इंसान है । चलो कम से कम आज ही उसे कहीं घुमा लाएं, पर नही, भला ऐसा तुम क्यों सोचने लगे
जरा दो दिन मेरे साथ घूम लो फिर देखना चार दिन बिस्तर से नहीं उठोगी । तुम्हें क्या पता छ: दिनों की वर्किंग हमें कितना थका देती है फिर तो मन बस यही चाहता है कि सारा दिन बिस्तर पर यूं ही पड़े रहो कहीं मत जाओ । एक दिन आराम का मिलता है लेकिन वो भी तुमसे देखा नही जाता । लेक्चर देना शुरु कर देती हो । मैं सोचता हूं कि मैं घर ही क्यूं आता हूं
अब तुम्हें समझ में आ रहा होगा कि एक औरत कैसे महीनों-महीनों तक घर में पड़ी रहती है, वह कहीं घूमने नहीं जाती । आखिर वह कैसे अपना समय बीताती होगी?
जी बिल्कुल, आज का ये दिन सिर्फ आपके नाम। अब देर मत करो जल्दी से तैयार हो जाओ आज हम पहले मूवी देखने जाएंगे और फिर वही मॉल में लंच भी कर लेंगे और फिर वहां से वाटर पार्क चलेंगे
(मृदुल पत्नी से कहता है)
कर्तव्य – कर्तव्यो का एहसास कराती कपल की मनोरंजक कहानी से शिक्षा
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