एक बूढ़ी औरत डाक्टर को अपनी आँख दिखाने के लिये गई , कुछ मरीजो के बाद उसका नंबर आया डाक्टर ने उसकी आँखो कि जाँच की उसे कुछ दवाए लिखी और चश्मे के शीशे का नंबर लिखा, वह बूढी औरत डॉक्टर के चेम्बर से बहार आई ,केमिस्ट को उसने अपना पर्चा दिया, केमिस्ट ने दवा और चश्मा के दाम जोड़ कर बताया उस बूढ़ी औरत की आँखो मे आँसू भर आये
केमिस्ट रवि – “क्या हुआ माता जी क्यों रो रही है”
बूढ़ी औरत अपने हाथो मे लिये पैसे देखने लगी उसके पास मात्र ४० रूपये बचे थे, बड़ी मुश्किल से उसने डॉक्टर के फीस के पैसे जुटाए थे। अब वह केमिस्ट से क्या कहे ये सोच रही थी , रवि ने उनके हाथो मे कितने पैसे थे ये देख लिये थे
केमिस्ट – “कोई बात नही माता जी, आप बैठिये मै दवा और चश्मे दोनों देता हुँ”
बूढ़ी औरत – “लेकिन बेटा मेरे पास इतने पैसे नही है”
केमिस्ट – माता जी आप घबराइए नही आप बैठिये, मै आप को चश्मा और दवा दोनों दिलवाता हुँ
बूढ़ी औरत पास के ही चेयर पर बैठ गई ,
केमिस्ट रवि के पास भी इतने पैसे नही थे की वो चश्मे सहित दवा कि व्यवस्था करा सके , रवि की परेशानी को देख कर आमित और राकेश ने रवि से बात की, अमित और राकेश के सहयोग से केमिस्ट रवि ने दवा और चश्मे का इंतजाम किया,
केमिस्ट रवि – “माता जी ये लीजिये चश्मा (बूढ़ी औरत के आँखो पर लगाते हुए) ये रही आप की दवायें”
( कैसे खाना है ये सब उनको समझाया )
बूढ़ी औरत ने रवि को बहुत आशीर्वाद दिया
रवि – “माता जी इन को भी आशर्वाद दीजिये”
(पास खड़े अमित और राकेश कि तरफ इशारा करते हुए )
“इनके सहयोग से ही, मै ये कर पाया हुँ”
जाते जाते तीनो को अपनी भीगी ऑखो से आशीर्वाद दिया, ये तीनो भी उनकी मदद कर के काफी खुश थे
Moral of the story :-
रवि ,अमित और राकेश जैसे लोग उन लोगो के लिये किसी फरिश्ते से कम नही है जिनको मदद की जरुरत होती है, आज समाज मे बहुत से लोग है जो जरूरतमंदों की मदद कर रहे है , और बहुत लोग ऐसे भी है जो मुहँ फेर लेते है , आप से भी REQUEST है कि आप भी जरूरतमंदो की मदद के लिए आगे आये, जितनी क्षमता है हम उतने मे ही किसी की मदद कर सकते है , उम्र के उस पड़ाव मे दवाओ और चश्मे के लिये पैसे कहा से ले आती वह बूढ़ी औरत ये सोचने वाली बात है,अगर मदद के लिये हमारे हाथ नही बढ़ेगे तो इनकी मदद कैसे होगी
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Writer
Prabhakar
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