शेर और चूहा का कार्टून| मूर्ख शेर की कहानी| शेर या सिंह और चूहा कहानी
पहाड़ो से घिरा अमेजन नामक जंगल, जिसके ठीक बीचोबीच से बहने वाली नदी जंगल की सुन्दरता में चार चांद लगाया करती। एकबार इसी जंगल में रहने वाले शेर और चूहे के बीच जोरदार बहस छिड़ गई । बहस इस बात को लेकर थी कि कौन ज्यादा तेज दौड़ सकता है । दोनों में इस बात को लेकर काफी देर तक बहस चलती रही । इस मामले में दोनों ही अपने-अपने तर्कों के आधार पर खुद को अगले से बेहतर साबित करने में लगे रहे । कोई भी पीछे हटने को तैयार न था ।
आखिरकार दोनों में यह तय हुआ कि अगली सुबह दोनों, जंगल के बीचोंबीच बहने वाली नदी के तट पर उपस्थित होंगे और फिर वहीं से वे दोनो एक साथ जंगल में दौड़ लगाएंगे इस दौड़ में जो सबसे पहले जंगल के अंतिम छोर पर पहुंचेगा, वही विजेता माना जाएगा ।
वादे के मुताबिक अगली सुबह शेर और चूहा, नदी के तट पर जा पहुंचे दोनों के चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था । मानो दोनों को ही अपनी जीत का पूरा भरोसा हो । शेर और चूहे ने पहले एक-दूसरे से हाथ मिलाया और फिर अपनी-अपनी जीत दर्ज करने के मकसद से, दोनो जंगल के अंतिम छोर की ओर दौड़ पड़े ।
रेस की शुरुआत से ही दोनों ने काफी जोर लगा रखा था । पूरी शक्ति के साथ शेर और चूहा एक दूसरे को पछाड़ने के प्रयास में काफी तेजी से आगे भागने लगे । रेस में कभी चूहा, शेर से आगे निकल जाता तो कभी शेर, चूहे को पछाड़ उससे आगे निकल जाता । एकतरफ जहां शेर रास्ते में आने वाली बड़ी-बड़ी बाधाओ को एक छलांग मे पार कर जाता वहीं चूहा उनके बीच से रास्ता बनाकर निकल जाता । दोनों जंगल में कुछ इस प्रकार दौड़ लगा रहे थे मानो उन्होंने करो या मरो का संकल्प ले रखा हो । पूरे जी-जान से अंधाधुंध दौड़ लगा रहे चूहा और शेर में, फासला अचानक तब बढ़ गया, जब चूहा एक झाड़ी में उलझ कर गिर पड़ा ।
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उसे इस प्रकार गिरते देख शेर बहुत खुश हुआ । वह कभी पीछे मुड़कर झाड़ियो में उलझे चूहे को देखता तो कभी तेजी से आगे की ओर भागता । शेर के चेहरे की खुशी बस देखते ही बन रही थी । मानो उसे इस बात का विश्वास हो चला हो कि अब उसे जीतने से कोई नहीं रोक सकता परंतु आगे-पीछे देखने के चक्कर शेर, एक बरगद के पेड़ से जा टकराया, परिणामस्वरूप वह लड़खड़ाकर नीचे गिर पड़ा । तब पीछे से भागता हुए आ रहा चूहा उसे देखकर मुस्कुराया और उसे चिढ़ाते हुए बोला
“बुरी सोच का बुरा नतीजा”
इस प्रकार,दोनो के बीच का ये रेस काफी रोमांच हो गया था, रेस में कभी ऐसा लगता मानो शेर ने मैदान मार लिया हो तो कभी लगता जैसे चूहा ही चैंपियन बनने वाला है । दोनों के बीच का ये घमासान यूँ ही जारी रहा और आखिरकार जंगल का अंतिम छोर समीप आ गया ।
हालांकि इन सबके बीच शेर ने चूहे से थोड़ा फासला अब जरूर बना लिया था । वह जीत से महज दो-चार ही दूर था । मंजिल को बिल्कुल करीब देख शेर खुशी से उछल पड़ा । उसने अपनी, अगली दोनो ढांगे उठाते हुए, पूछ को हवा में लहराया और एक राहत भरी सांस ली ।
हालांकि इस लम्बी दौड़ ने उसे थकाकर चकनाचूर कर दिया था उसे बहुत चोट भी आयी थी वह हाफ रहा था परंतु उसकी इस जी तोड़ मेहनत ने यह साबित कर दिया था कि वह चूहे से ज्यादा तेज दौड़ सकती है । शेर खुशी से फूले नहीं समा रही थी, उसके पैर अब जमीन पर नहीं थे, ऐसा लग रहा था मानो उसने जिंदगी की सबसे बड़ी रेस जीत ली हो ।
परंतु तभी अचानक वो हुआ जो शायद शेर ने कभी सपने मे भी नही सोचा होगा क्योंकि तभी पीछे से भागते, आ रहे चूहे ने, शेर के दोनो पैरो के बीच से निकलते हुए जंगल के अंतिम छोर पर पांव रखा, और मैदान मार लिया । इस प्रकार शेर की जीत होते-होते रह गई और देखते ही देखते उसकी सारी खुशी काफूर हो गई ।
कहानी से शिक्षा | Moral Of This Short Inspirational Story In Hindi
अधिकांश लोग, सफलता को सामने पाकर थोड़े ढीले पड़ जाते हैं और फिर वे वैसा प्रयास नही करते जैसा वे कर सकते थे। परिणामस्वरूप उन्हें मनचाही सफलता नही मिल पाती !
कई बार परीक्षा हाल में बैठा विद्यार्थी, प्रश्न-पत्र को पढ़कर ही बहुत खुश हो जाता है उसे ऐसा महसूस होने लगता है कि जैसे उसने मैदान मार लिया हो परंतु नतीजे आने पर उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है । दोस्तों ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे प्रश्न-पत्र को हल किए बगैर ही खुद को सफल मान बैठते हैं और फिर दृढ़ता पूर्वक, उतना बेहतर प्रयास नहीं करते जैसा वे कर सकते थे, परिणामस्वरूप उन्हें नकारात्मक परिणाम हासिल होते हैं ।
दोस्तों इस कहानी में जो गलती शेर ने की उसे आप ना दोहराए, खुद को सफलता के शीर्ष पर पाकर भी अपने प्रयासों में किसी प्रकार की कोई कमी ना करें । आप तब तक खुद को सफल न समझे जब तक मंजिल, पूरी तरह आपको हासिल न जाए । Wish you all the best.
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