तकलीफ़ की पोटली प्रेरणा गहलोत की दर्द भरी कविता
तकलीफ़ एक हो तो बताऊं
तकलीफ़ की पोटली किस किस को दिखाऊं
उठाए नहीं उठते हैं अब ये
इसे और कहां तक ले जाऊं
आने वाले ग़मो का इल्म नहीं है
इसमें और क्या क्या छुपाऊं
भारी तो पहले से हीं है
इसे क्या और भारी बनाऊं
“तकलीफ़ की पोटली | दर्द भरी कविता“ आपको कैसी लगी, कृपया नीचे कमेंट के माध्यम से हमें बताएं । यदि कविता पसंद आई हो तो कृपया इसे Share जरूर करें !